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लेखनी प्रतियोगिता -18-Jul-2022

ऐ कलम तू आज 

सब सच बोल दे

तलवार की तुझमे 
समाई धार है
पुस्तकें नौका हैं
तू पतवार है
काट अंधेरे
उजाले खोल दे
ऐ कलम तू आज
सब सच बोल दे।

मिलकर तुझे सोई 
उमंगें जागी हैं
सबको बता
आशिक नहीं हम बागी हैं
ज्ञान सागर
स्याहियों से तोल दे
ऐ कलम सब आज सच सच बोल दे।।



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12 Comments

Chetna swrnkar

27-Aug-2022 07:51 PM

Nice

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Achha likha hai aapne 🌺🙏

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